Tuesday 17 April 2012

नर्स

अस्पताल के हर गलियारे में नर्स घुमती नजर आती है 
विशेष पोशाक पहने मुस्कान के  साथ मरीज के पास जाती है 
दिल में आशीषो को पाने की तमन्ना आँखों में प्रेम लिए आती है
मरीज के साथ कोई विशेष रिश्ता नहीं फिर भी सम्पूर्ण समर्पण की भावना दिखाती है 
सेवा ईमानदारी कर्तव्यनिष्ठा ये सारे गुणों को अपना आभूषण बनाती है 
इन सारे गुणों के साथ वह अपना हर अनमोल पल मरीज की सेवा में लुटाती है 
मृत्यु रूपी रात्रि से जीवन रूपी खुबसूरत सवेरे की ओर ले जाती है 
ऐसा करने के लिए वो एडी से चोटी तक का बल लगाती है 
वह सोचती है कि उसे चाहिए ही कितना तन ढकने, पेट भरने, धुप, बारिश से बचने के अलावा 
यही आत्म संतोष उसकी भक्ति और वो स्वंय सन्यासी बन जाती है 
नर्स बनकर समाज को सेवा के साथ नेकी का पाठ पढाती है
बदले में इसी समाज से थोड़ी सी सम्मान कि लालसा जोड़े जाती है 
इंसान कि तरह नजर आये मगर फ़रिश्ते का चरित्र  दिखाती है
खुदा के पास रहने वाली खुशनसीब आत्मा बन जाती है 

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